| 1. | कार्बोलिक अम्ल से घाव को जलाकर ऐंटिरैबिक (
|
| 2. | इसी विधि से व्यापार का कार्बोलिक अम्ल प्राप्त होता है।
|
| 3. | इसी विधि से व्यापार का कार्बोलिक अम्ल प्राप्त होता है।
|
| 4. | इसकी जीवाणु नाशी क्षमता कार्बोलिक अम्ल से 6 गुना अधिक है।
|
| 5. | कार्बोलिक अम्ल, ऑक्सैलिक अम्ल के कारण भी कुछ पौधे विषाक्त होते हैं।
|
| 6. | कार्बोलिक अम्ल, ऑक्सैलिक अम्ल के कारण भी कुछ पौधे विषाक्त होते हैं।
|
| 7. | कार्बोलिक अम्ल से घाव को जलाकर ऐंटिरैबिक (antirabic) की 14 सुई देनी चाहिए।
|
| 8. | प्रयुक्त होते हैं, वे हैं अफीम, संखिया, तूतिया, धतूरे के बीज, कार्बोलिक अम्ल इत्यादि।
|
| 9. | औषधि के 20 से 25 प्रतिशत घोल की जीवाणुनाशी क्षमता कार्बोलिक अम्ल से दो गुनी है ।
|
| 10. | कार्बोलिक अम्ल: विलेय सल्फेट का सेवन, हलके ऐल्कोहल, कच्चे अंडे या आटे के पानी का सेवन।
|